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Thursday, 22 May 2014

मोना ने भी मेरे लंड के धक्के पर क

चाची के साथ होटल में मज़े किये

चाची के साथ होटल में मज़े किये

मेरा नाम रवि है. बात उन दिनों की है जब मेरी उम्र 19 साल की थी और मै इंजीनियरिंग के पहले साल में बंगलौर में पढ़ रहा था. मै बनारस का रहने वाला हूँ. मेरे सेमेस्टर के एक्जाम समाप्त हो गए थे. और कुछ दिनों की छुट्टी के लिए घर आया था. मेरा घर संयुक्त परिवार का है. मेरे परिवार के अलावा मेरे चाचा एवं चाची भी साथ में ही रहते थे. मेरे चाचा पेशे से हार्डवेयर के थोक विक्रेता थे. उन्होंने काफी धन कमाया रखा था उन्होंने. उनकी शादी को सात साल हो गए थे लेकिन अभी तक कोई संतान नहीं हुई थी. चाची की उम्र 28  साल की थी. वो बनारस जिले के ही एक गाँव की थी. थी तो देहाती लेकिन देखने में मस्त थी. उनकी जवानी पुरे शवाब पर थी. झक गोरा बदन और कटीले नैन नक्श और गदराये बदन की मालकिन  थी. वो लोग ऊपर के मंजिल में रहते थे. जब चाचा दूकान और मेरे पापा अपने कार्यालय चले जाते थे तो मै और चाची दिन भर ऊपर बैठ कर गप्पें हाकां करते थे. चाची का नाम मोना था. सच कहूँ तो वो मुझे अपना दोस्त मानती थी. वो मेरे सामने बड़े ही सहज भाव से रहती थी. अपने कपडे लत्ते भी मेरे सामने ठीक से नहीं पहनती थी. उनकी चूची की आधी दरार हमेशा दिखती रहती थी. कभी कभी तो सेक्स की बात भी कर डालती थी. जब भी मुझे अकेली पाती थी तो हमेशा डबल मीनिंग बात बोलती थी. जैसे बछडा भी दूध देता है. तेरा डंडा कितना बड़ा है? तुझे स्पेशल दवा की जरुरत है. आदी .   दिन भर मेरे कालेज और बंगलौर के किस्से सुनते रहती थी. जब मेरे बंगलौर जाने के छः दिन शेष रह गए थे तभी एक दिन चाची ने कहा - वो लोग भी बंगलौर घुमने जाना चाहते हैं.

मैंने कहा - हाँ क्यों नहीं. आप दोनों (चाचा-चाची) मेरे साथ ही अगले शनिवार को चलिए. मै आप दोनों को वहां की पूरी सैर करवा दूंगा.

चाची ने अपना प्लान चाचा को बताया. चाचा तुरंत मान गए. मैंने उसी समय इन्टरनेट से हम तीनो का टिकट एसी फर्स्ट क्लास में कटवाया. अगले शनिवार को हमारी ट्रेन थी. अगले शनिवार को सुबह हम तीनो ट्रेन से बंगलौर के लिए रवाना हुए. अगले दिन रविवार को शाम सात बजे हम सभी बंगलौर पहुच चुके थे. मैंने उनको एक बढ़िया सा होटल में कमरा दिला दिया. उसके बाद मै वापस अपने होस्टल आ गया. होस्टल आने पर पता चला कि कल  से कालेज के क्लर्क लोग अपनी वेतन बढाने के मांग को ले कर अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जा रहे हैं. और इस दौरान कालेज बंद रहेगा. मेरे अधिकाँश मित्रों को ये बात पता चल गयी थी. इसलिए सिर्फ 25 - 30  प्रतिशत छात्र ही कालेज आये थे.

मै अगले दिन करीब 11 बजे  अपने चाचा के कमरे पर गया.वहां दोनों नाश्ता कर रहे थे. चाची ने मेरे लिए भी नाश्ता लगा  दिया. मैंने देखा कि चाचा कुछ परेशान हैं. पूछने पर पता चला कि जिस कम्पनी का उन्होंने फ्रेंचाइजी ले रखा है उस कम्पनी ने दुबई में जबरदस्त सेल ऑफ़र किया है . अब चाचा की परेशानी ये थी कि अगर वो वापस चाची को बनारस छोड़ने जाते और वहां से दुबई जाते तो तक तक सेल  समाप्त हो जाती. और अगर साथ में ले कर दुबई जा नही सकते थे क्यों कि चाची का कोई पासपोर्ट वीजा था ही नहीं.

मैंने कहा - अगर आप दुबई जाना चाहते हैं तो आप चले जाएँ. क्यों कि मेरा कालेज अभी एक साप्ताह बंद रह सकता है. मै चाची को या तो बनारस पहुंचा दूंगा या फिर आपके वापस आने तक यहीं रहेगी. आप दुबई से यहाँ आ जाना और फिर घूम फिर कर चाची के साथ वापस बनारस चले जाना.

चाचा को मेरा सुझाव पसंद आया.

चाची ने भी कहा - हां जी, आप बेफिक्र हो कर जाइए. और वापस यहीं आइयेगा . तब तक रवि मुझे बंगलौर घुमा देगा. आपके साथ मै दोबारा घूम कर वापस आपके साथ ही बनारस चले  जाऊंगी. चाचा को चाची का ये सुझाव भी पसंद आया.

लैपटॉप पर इन्टरनेट  खोल कर देखा तो उसी दिन के  दो बजे की फ्लाईट में सीट खाली थी. चाचा ने तुरंत सीट बुक की और हम तीनो एयरपोर्ट की और निकल पड़े. दो बजे चाचा की फ्लाईट ने दुबई की राह पकड़ी और मैंने एवं चाची ने बंगलौर बाज़ार की. चाची के साथ लंच  किया. घूमते घूमते हम मल्टीप्लेक्स आ गए. शाम के सात  बज गए थे. चाची ने कहा - काफी महीनो से  मल्टीप्लेक्स में सिनेमा नहीं देखा. आज देखूंगी.

मैंने देखा कि कोई नई पिक्चर आयी थी इसलिए सारी टिकट बिक चुकी थी. उसके किसी हाल  में कोई एडल्ट टाइप की इंग्लिश पिक्चर की हिंदी वर्सन लगी हुई है. फिल्म चार सप्ताह से चल रही थी इसलिए अब उसमे कोई भीड़ नही थी. मैंने 2 टिकट सबसे कोने का लिया और हाल के अन्दर चला गया. मुझे सबसे ऊपर की कतार वाली सीट दी  गयी थी. और उस पूरी कतार में दुसरा कोई भी नही था. हमारी कतार के पीछे सिर्फ दीवार थी. मैंने जान बुझ कर ऐसी सीट मांगी थी.  मेरा आगे वाले तीन कतार के बाद कोने पर एक लड़का और लड़की अकेले थे. उस कतार में भी उसके अलावे कोई नही था. उसके अगले कतार में दुसरे कोने पर एक और जोड़ा था. इस तरह से उस समय 300 दर्शकों की क्षमता वाले  हाल में सिर्फ 20 - 22  दर्शक  रहे होंगे. पता नही इतने कम दर्शकों के लिए फिल्म क्यों लगा रखा था.  वो मेरे दाहिने और बैठी. चाची के दाहिने दिवार थी. तुरंत ही फिल्म चालू हो गयी.

फिल्म शुरू होने के तुरंत बाद ही मेरे बाद के  चौथे कतार में बैठे लड़के एवं लड़की ने एक दुसरे के होठों को किस करना चालू कर दिया. हालांकि बंगलोरे के सिनेमा घरों में इस तरह के सीन आम बात हैं. हर शो में कुछ लड़के लड़की सिर्फ इसलिए ही आते हैं.

चाची ने उस जोड़े की तरफ मुझे इशारा कर के कहा - हाय देख तो रवि. कैसे एक दुसरे खुलेआम को चूस रहे हैं .

मैंने कहा - चाची , यहाँ आधे से अधिक सिर्फ इसलिए ही आते हैं. सिनेमा हाल ऐसे जगह के लिए बेस्ट है. तू उस कोने पर बैठे उस जोड़े को तो देख. वो भी वही काम कर रहा है. अभी  तो सिर्फ एक दुसरे को किस कर रहे हैं ना. आगे देखना क्या क्या करते हैं. तू ध्यान मत दे इन सब पर. सब मस्ती करते हैं. यही तो लाइफ है.

चाची - तुने भी कभी मस्ती की या नहीं इस तरह से सिनेमा हाल में.

मैंने कहा - अभी तक तो नहीं की. लेकिन अब के बाद पता नहीं. 


तुरंत ही फिल्म में सेक्सी सीन आने शुरू हो गए. मेरी चाची ने मेरे कान में फुसफुसा कर कहा - हाय राम, जरा देखो तो ये कैसी सिनेमा है.

मैंने कहा - चाची, ये बंगलौर है. यहाँ सब इसी तरह की फिल्मे रहती है. अब देखो चुपचाप आराम से . ऐसी फिल्मो के मज़े लो. बनारस में ये सब देखने को नहीं मिलेगी.

वो पूरी फिल्म सेक्स पर ही आधारित थी. मेरी चाची अब गरम  हो  रही  थी. वो गरम गरम साँसे फेंक रही थी. उसका बदन ऐठ रहा था. शायद वो  पहली बार किसी हाल में एडल्ट फिल्म देख रही थी. मैंने पूछा - क्यों चाची? पहले कभी देखी है ऐसी मस्त फिल्म?

चाची - नहीं रे. कभी नही देखी.

मैंने धीरे धीरे अपना दाहिना हाथ उनके पीछे से ले जा कर उनके कंधे पर रख दिया. मैंने देखा कि चाची अपने हाथ से अपने चूत  को साड़ी के ऊपर से सहला रही है. शायद सेक्सी सीन देख कर उनकी चूत गीली हो रही थी. मेरा भी लंड खड़ा हो गया था. मैंने भी अपना बायाँ  हाथ अपने लंड पर रख दिया.  मैंने धीरे धीरे चाची के  पीठ पर दाहिना हाथ फेरा. उसने कुछ नही कहा . वो अपनी चूत को जोर जोर से रगड़ रही थी. मैंने उनकी पीठ पर से हाथ फेरना छोड़ दाहिने हाथ से उनके गले को लपेटा और अपनी तरफ उसे खींचते हुए लाया. चाची मेरी तरफ झुक गयी.

मैंने पूछा- क्यों चाची, मज़ा आ रहा है फिल्म देखने में?

चाची ने शर्माते हुए कहा - धत ! मुझे तो बड़ी शर्म आ रही है.

मैंने कहा - क्यों ? इसमें शर्माना कैसा? तुम और चाचा तो ऐसा करते होंगे न?  तेरे एक हाथ जहाँ हैं न उस से तो लगता है कि मज़े आ रहे हैं तुझे.

चाची - हाय राम, बड़ा बेशरम हो गया है तू रे बंगलौर में रह कर. बड़ा देखता है यहाँ - वहां कि कहाँ हाथ हैं. कहाँ नहीं.

मैंने चाची के कानो को अपने मुह के पास लाया और कहा - जानती हो चाची? ऐसी फिल्मे देख कर मुझे भी कुछ कुछ होने लगता है.

चाची ने अपने होठ को मेरे होठो के पास लगभग सटाते हुए कहा - क्या होने लगता है?

मैंने अपने लंड को घसते  हुए कहा  - वही, जो तुझे हो रहा है न. मन करता है कि यहीं निकाल दूँ.

चाची - सिनेमा हाल में निकालते हो क्या?

मैंने - कई बार निकाला है. आज तू है इसलिए रुक गया हूँ.

चाची - आज यहाँ मत निकाल. बाद में निकाल लेना.

थोड़ी देर में फिल्म की नायिका ने अपनी चूची मसलवा रही थी. हम दोनों और गर्म हो गए. तो मैंने चाची के कान में अपने होठ  सटा कर कहा - देख चाची, साली के चूची क्या मस्त है. नहीं?

चाची - ऐसी तो सब की होती है.

मैंने - तेरी है क्या ऐसी चूची?

चाची - और नहीं तो क्या?

मैंने - तेरी चूची  छू कर देखूं  क्या ?

चाची - हाँ , छू कर देख ले.

मैंने अपना दाहिना  हाथ से उनके चूची को पकड़ लिया और दबाने लगा. उसने अपना सर मेरे कंधे पर रख दिया और आराम से अपने चूची को दबवाने लगी. मैंने धीरे धीरे अपना दाहिना हाथ उनके ब्लाउज  के अन्दर डाल दिया. फिर ब्रा के अन्दर हाथ डाल कर उनका बड़े बड़े चुचीयों को मसलने लगा. वो मस्त हुई जा रही थी.
मैंने - अपनी ब्लाउज खोल दे न. तब मज़े से दबाऊंगा.
 

उसने कहा - यहाँ?

मैंने कहा और नहीं तो क्या? साडी को अपने चूची से ढके रहना. यहाँ कोई नहीं देखने वाला.

वो भी गरम हो चुकी थी. उसने ब्लाउज खोल दिया. लगे हाथ उसने अपना ब्रा भी खोल दिया. और अपने नंगी चूची को अपनी साड़ी से ढक लिया. मैंने मज़े ले ले कर उसके नंगी चूची को सिनेमा हाल में ही दबाना चालू कर दिया. 


मै जो चाहता था वो मुझे  करने दे रही थी. मुझे पूरी आजादी दे रखी थी. थी. मैंने अपने बाएं हाथ से उनके बाएं हाथ को पकड़ा और उसके हाथ को अपने लंड पर रख दिया.

और धीरे से कहा- देखो न. कितना खड़ा हो गया है. चाची ने मेरे लंड को जींस के ऊपर से दबाना चालू कर दिया.

अब मैंने देख लिया कि चाची पूरी तरह से गर्म है तो मैंने अपना हाथ उनके ब्लाउज से निकाला और उसके पेट पर ले जा कर नाभी को सहलाने लगा. धीरे धीरे मैं अपने हाथ को नुकीला बनाया और नाभी के नीचे उनके साड़ी के अन्दर डाल दिया. चाची थोड़ी चौड़ी हो गयी जिस से मुझे हाथ और नीचे ले जाने में सहूलियत हो सके. मैंने अपना हाथ और नीचे किया तो उनकी पेंटी मिल गयी. मैंने उनकी पेंटी में हाथ डाला और उनके चूत पर हाथ ले गया. ओह क्या चूत थे. एक दम घने बाल. पूरी तरह से चिपचिपी  हो गयी थी. मैंने काफी देर तक उनकी चूत को सहलाता रहा. और वो मेरे लंड को दबा रही थी. मैंने अपने दाहिने हाथ की  एक ऊँगली उनके चूत के अन्दर घुसा दी. वो पागल सी हो गयी.

उसने आस पास देखा तो कोई भी हम लोग के आस पास नहीं था. उसने अपनी साड़ी को नीचे से उठाया और जांघ के ऊपर तक ले आयी. फिर मेरे हाथ को साड़ी के ऊपर से हटा कर नीचे से खुले हुए रास्ते से ला कर अपनी चूत पर रख दी. और बोली - अब आराम से कर, जो करना है.

अब मै उसके चूत को आराम से छू रहा था. उसने अपनी पेंटी को नीचे सरका दिया था. मैंने उसकी चूत में उंगली डालनी शुरू की तो उसने अपनी चूत और चौड़ी कर ली.

उसने मेरे कान में कहा - तू भी अपनी जींस की पेंट खोल ना. मै भी तेरी सहलाऊं .

मैंने जींस का चेन खोल दिया. लंड किसी राड की तरह खड़ा था. चाची ने बिना किसी हिचक के मेरे लंड को पकड़ा और सहलाने लगी . मै  भी उसकी चूत में अपनी उंगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगा. वो सिसकारी भर रही थी. मेरा लंड भी एकदम चिपचिपा हो गया था.

मैंने कहा - चाची, अब बर्दाश्त नहीं होता. अब मुझे मुठ मार  कर माल निकालना ही पडेगा.

चाची - आज मै मार देती हूँ तेरी मुठ. मुझसे
मुठ मरवाएगा?

मैंने कहा - तुझे
आता है लंड का मुठ मारना ?

चाची - मुझे क्या नही आता? तेरे चाचा का लगभग हर रात को मुठ मारती हूँ. सिर्फ हाथ से ही नही...किसी और से भी..

मैंने कहा - किसी और से कैसे?

चाची - तुझे नही पता कि  लंड का मुठ मारने में हाथ के अलावा और किस चीज का इस्तेमाल होता है?

मैंने कहा - पता है मुझे. मुंह से ना.

चाची - तुझे तो सब पता है.

मैंने कहाँ - तू 
चाचा का लंड अपने मुंह में ले कर चूसती है?

चाची - हाँ रे, बड़ा मजा आता है मुझे और उनको.

मैंने कहा - तू चाचा का माल कभी पी है?

चाची - बहुत बार. एकदम नमकीन मक्खन की तरह लगता है.

मैंने- तू तो बहुत एक्सपर्ट है. मेरी भी मुठ मार दे ना आज. अपने हाथों से ही सही. 


चाची ने मेरे लंड को तेजी से ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया. सचमुच काफी एक्सपर्ट थी वो. चाची  सिनेमा हाल के अँधेरे में मेरा मुठ मारने लगी.  पहली बार कोई मेरा मुठ मार रही थी. मै ज्यादा देर बर्दास्त नहीं कर पाया. धीरे से बोला - हाय चाची,  मेरा निकलने वाला है. चाची ने तुरन अपने साड़ी का पल्लू मेरे लंड पर लपेटा. सारा माल मैंने चाची के साड़ी में ही गिरा दिया.

फिर मैंने चाची के चूत में उंगली अन्दर बाहर  करने लगा. चाची भी एडल्ट फिल्म की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पायी. उनका माल भी निकलने लगा. उसने तुरंत अपने चूत में से मेरी ऊँगली निकाली और अपने साड़ी के पल्लू में अपना माल पोंछ डाला.

2 मिनट बाद अचानक बोली - रवि, चलो यहाँ से, अपने होटल के कमरे में.

मैंने कहा - क्यों? अभी तो फिल्म ख़त्म भी नहीं हुई है.

चाची - नहीं, अभी चलो, मुझे काम है तुमसे.

मैंने - क्या काम है मुझसे?

चाची- वही. जो अभी यहाँ कर रहे हो. वहां आराम से करेंगे.

मैंने कहा - ठीक है चलो.

और हम लोग फिल्म चालू होने के 45 मिनट बाद ही निकल गए. हमारा होटल वहां से पांच  मिनट की  दुरी पर ही था. वहां से हम सीधे अपने कमरे में आये. कमरे में आते ही चाची ने अपनी साड़ी उतरा फेंकी. लपक कर मेरी शर्ट और जींस खोल दी. अब मै सिर्फ अंडरवियर में था. चाची ने अगले ही पल अपनी ब्लाउज को खोल दिया. और पेटीकोट भी उतार दी. अब वो भी सिर्फ ब्रा और पेंटी  में और मै सिर्फ अंडरवियर में था.

वो मुझे अपने सीने के लपेट कर पागलों की तरह चूमने लगी. मेरे पुरे बदन को चाटने लगी. 


चाची- रवि , आ जा, अब जो भी करना है आराम से कर. मुझे भी तेरी काफी प्यास लगी है . मेरी प्यास बुझा दे. चीर डाल मुझे.

मैंने अपना अंडरवियर खोल दिया. मेरा 9 इंच का लंड किसी तोप की भांति चाची के तरफ खडा था. मै आगे बढ़ा और अपना लंड चाची के हांथों में थमा दिया. चाची मेरे लंड को सहलाने लगी. बोली - बाप रे बाप !   कितना बड़ा लंड है रे.

मैंने मोना (चाची) के चुचियों का दबाते हुए कहा - मोना चाची, तू बड़ी मस्त है. चाचा को तो खूब मज़े देती होगी तू.

मोना - तू भी ले न मज़े. तू चाचा का भतीजा है. तेरा भी उतना ही हक बनता है मुझ पर. और तू मुझे सिर्फ मोना कह ना. चाची क्यों पुकारता है मुझे. अब से तू मेरा दुसरा पति है

मैंने - हाँ मोना. क्यों नहीं.

मोना - हाय, कितना अच्छा लगता है जब तू मुझे मेरे नाम से बुलाता है. सच बता कितनी को चोदा है तू अब तक?

मैंने - अब तक एक भी मोना डार्लिंग, आज तुझसे ही अपनी ज़िंदगी की पहली चुदाई शुरू करूँगा.

मैंने मोना के ब्रा को खोला और नंगी चूची को आज़ाद किया. साली की चूची तो ऐसी थी कि आज तक मैंने किसी ब्लू फिल्मों  की रंडियों की चूचियां भी वैसी नहीं देखी. एकदम चिकनी और गोरी. एक तिल का भी दाग नही था. मैंने उसकी घुंडियों को अपने मुंह में लिया और चूसने लगा. मोना सिसकारी भरने लगी. मैंने उसे लिटा  दिया. उसके बदन के हर अंग को चूसते हुए उसके पेंटी पर आया. उसकी पेंटी बिलकूल गीली  हो चुकी थी. मैंने उसकी पेंटी के ऊपर से ही उसके चूत को चूसने  लगा.

मोना पागल सी हो रही थी. मैंने धीरे धीरे उसकी पेंटी को उसकी चूत पर से हटाया. आह ! क्या शानदार चूत थी. लगता ही नहीं था कि पिछले चार साल से इसकी चुदाई हो रही थी. गोरी गोरी चूत पर काले काले झांट. ऐसा लगता था चाँद पर बादल छ गए हों. मैंने झांटों को हाथ से बगल किया और उसके चूत को उँगलियों से फैलाया. अन्दर एकदम लाल नजारा देख कर मेरा दिमाग ख़राब हो रहा था. मैंने झट से उसकी लाल लाल चूत में अपनी लपलपाती जीभ डाली. और स्वाद लिया. फिर मैंने अपनी पूरी जीभ जहाँ तक संभव हुआ उसकी चूत में घुसा कर चूस चूस कर स्वाद लेता  रहा. मोना जन्नत में थी. उसने अपने दोनों टांगो से  मेरे सर को लपेट लिए और अपने चूत की  तरफ दबाने लगी. दस मिनट तक उसकी चूत चूसने के बाद उसके चूत से माल निकलने लगा. मैंने बिना किसी शर्म के सारा माल को चाट लिया. मोना बेसुध हो कर पड़ी थी. वो मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी.

मैंने कहा - सच बता मोना, चाचा से पहले कितनो से चुदवाई है तू?

मोना - तेरे चाचा से पहले सिर्फ दो ने चोदा है मुझे .

 मैंने कहा - हाय, किस किस ने तुझे भोग रे?


 

मोना - जब मै सोलह साल की थी तब स्कूल की एक सहेली के भाई ने मुझे तीन बार चोदा. फिर जब मै उन्नीस साल की थी तो कालेज में मेरा एक फ्रेंड था. हम सब एक जगह पिकनिक पर गए थे. तब उसने मुझे वहां एक बार चोदा. एक साल बाद तो मेरी शादी ही तेरे चाचा से हो गयी.

मैंने - तब तो मै चौथा  मर्द हुआ तेरा न?


मोना - हाँ. लेकिन सब से प्यारा मर्द.


मै उसके बदन पर लेट गया आर उसके रसीले होठ को अपने होठ में लिए और अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दिया. कभी वो मेरी जीभ चुस्ती कभी मै उसकी जीभ चूसता. इस बीच मैंने उसके दोनों टांगो को फैलया और उसके चूत में उंगली डाल दिया. मोना ने मेरी लंड पकड़ी और उसे अपने चूत के छेद के ऊपर ले गयी और हल्का सा घुसा दी. अब शेष काम मेरा था. मैंने उसके जीभ को चाटते हुए ही एक झटके में अपना लंड उसके चूत में पूरा डाल दिया. वो दर्द में मारे बिलबिला गयी.

बोली - अरे , रवि, फाड़ देगा क्या रे? निकाल रे .

लेकिन मै जानता था कि ये कम रंडी नहीं है. इसे कुछ नहीं होगा. मैंने उसकी दोनों बाहें पकड़ी और अपने लंड को उसके चूत में धक्के लगा शुरू कर दिया. वो कस के अपनी आँखें बंद कर रही थी और दबी जुबान से कराह रही थी. लेकिन मुझे उस पर कोई रहम नहीं आ रहा था. बल्कि उसके चीख में मुझे मजा आ रहा था. 70 -75  धक्के के बाद उसकी चीखें बंद हो हो गयी. अब उसकी चूत  पूरी तरह से मेरे लंड को सहने योग्य चौड़ी हो गयी थी. अब वो मज़े लेने लगी. उसने अपनी आँखे खोल कर मुस्कुरा कर कहा - हाय रे रवि. बड़ा जालिम है रे तू. मुझे तो लगा मार ही डालेगा .

मैंने कहा - मोना डार्लिंग, मै तुझे कैसे मार सकता हूँ रे. तू तो अब मेरी जान बन गयी है. और तुझे तो आदत होगी न बचपन से?

मोना हंसने लगी. बोली - लेकिन इतना बड़ा लंड की आदत नहीं है मेरे शेर राजा. . मज़ा आ रहा है तुझ से चुदवा कर.
   
करीब दस मिनट तक चोदने के बाद मेरे लंड से माल निकलने पर हो गया. मैंने कहा - मोना डार्लिंग, माल निकलने वाला है.

मोना - निकलने दो न वहीँ.

अचानक मेरे लंड से गंगा जमुना बहने लगी और मै पूरा जोर लगा कर मोना की चूत में अपना लंड घुसा दिया. मोना कराह उठी.

थोड़ी देर बाद हम दोनों को होश आया. मेरा लंड उसके चूत में ही था.

मै उसके नंगे बदन पर से उठा. समय देखा तो नौ बजने को थे. मैंने पूछा - मोना नहाएगी?

मोना - हाँ रे, चल न.

मैंने उसे अपनी गोद में उठाया. उसने भी हँसते हुए अपनी दोनों बाहें मेरे गले में लपेटा और हम दोनों बाथरूम में आ गए. वहां मैंने मोना को बाथटब में डाल दिया. फिर शावर को टब की  ओर घुमाया और चला दिया.  अब नीचे भी पानी और ऊपर से भी पानी बरस रहा था. मै मोना के  ऊपर लेट गया. अब हम ठन्डे पानी में एक दुसरे के आगोश में थे. मेरे होठ उसके होठ चूम रहे थे. मेरे एक हाथ उसके चुचियों से खेल रहे थे और मेरे दसरे हाथ उसके चूत के छेद में ऊँगली कर रहे थे. और वो भी खाली नही थी. वो मेरे लंड को दबा रही थी. दस मिनट तक ठन्डे पानी में एक दुसरे के बदन से खेलने के बाद हम दोनों का शरीर फिर गर्म हो गया. मैंने उसके टांगों को टब के ऊपर रखा और अपने लंड को उसके सुराख में डाला और पानी में डूबे डूबे ही उसे 20  मिनट तक आराम से चोदता रहा. इस दौरान मेरे और उसके होठ कभी अलग नहीं हुए. अचानक मेरे लंड ने माल निकालना चालू किया तो मै उसे चोदना छोड़ कर उसके चूत में लंड को पूरी ताकत के साथ दबाया और स्थिर हो गया और मेरे होठ का दवाब उसके होठ पर और ज्यादा बढ़ गया. जब मै उसके होठ के अपने होठ अलग किया तो उसने कहा - कितनी देर तक  चोदते हो, मेरी जान तुम्हे पता है मेरा दो बार माल निकल चूका था इस चुदाई में. मै कब से कहना चाहती थी लेकिन तुमने मेरे होठों पर भी अपने होठो से ताला लगा दिया था.

मैंने कहा   - मोना डार्लिंग, सच बताना, कैसा लगा मेरा लंड का करिश्मा?

मोना - मानना पड़ेगा, सच में मज़ा आ गया मुझे तो आज. अब चल कुछ खा -पी ले. अभी तो पुरी रात बांकी है.

मैंने बाथरूम के ही फोन पर से खाने के लिए चिकन, पुलाव, बियर और सिगरेट रूम में ही मंगवा लिया. थोड़ी देर में कमरे की घंटी बजी. मै टावेल लपेट कर बहार आया. और खाना टेबल पर रखवा कर वेटर को वापस किया. कमरे का दरवाजा बंद कर के मैंने मैंने मोना को आवाज दिया. मोना नंगे ही बाथरूम से बाहर आई. मैंने भी टावेल खोल दिया. फिर हम दोनों ने जम के चिकन-पुलाव खाया  और बियर पी. मोना पहले भी बियर पीती थी. चाचा पिलाता था. मेरे कहने पर उस ने उस दिन 3 सिगरेट भी पी ली. उसके बाद मैंने उसकी कम से कम  10 - 11   बार चुदाई  की. कभी उसकी चूत की चुदाई , तो कभी गांड की चुदाई, तो कभी मुंह की चुदाई. कभी चूची की चुदाई.

साली मोना भी कम नही थी. एक दम रंडी की तरह रात भर चुदवाते रही. सारी  रात मैंने उसे लुटा. सुबह के आठ बजे तक मैंने उसकी चुदाई करी. तब जा कर मोना को थकान हुई.  तब बोली - रवि , अब मै थक गयी हूँ. अब बाथरूम चल न.

मैंने उसे उठा कर बाथरूम ले गया. बाथरूम में संडास के दो सीट थे. एक देसी और एक विदेशी. उसे देसी सीट पसंद थी. मै विदेशी सीट पर बैठ गया और संडास करने लगा. वो मेरे सामने ही देसी सीट पर बैठ कर  संडास करने लगी. मुझे उसकी संडास की खुसबू भी अच्छी लग रही थी.

मैंने कहा - मोना , तेरी गांड मै धोऊंगा आज. 

उसने कहा - ठीक है. मै भी तेरी गांड धोउंगी .

संडास कर के हम दोनों उठे. मैंने उसे सर नीचे कर के गांड उठाने कहा . उसने ऐसा ही किया. इस से उसका गांड खुल गया. मैंने पानी से अच्छे से उसके गांड में लगे पैखाने को अपने हाथ से साफ़ किया.

फिर मैंने भी वही पोजीशन बनायी . उसने भी मेरी गांड को अपने हाथ से साफ़ किया.

फिर हम दोनों लगभग एक घंटे तक टब में डूबे रहे और एक दुसरे के अंगों  से खेलते रहे. टब में दो बार उसी चुदाई करी.

फिर वापस कमरे में आ कर नाश्ता मंगवाया. और नाश्ता कर के हम दोनों जो सोये तो सीधे पांच बजे उठे.
हम दोनों नंगे थे.उसने मेरे लंड पर हाथ साफ़ करना शुरू किया. लंड दूसरी पारी के लिए एकदम से तैयार हो गया.
मै मोना के बदन पर चढ़ गया और उसके चूत में अपना नौ इंच का लंड घुसेड दिया. 


तभी चाचा का फोन आया. लेकिन मैंने मोना की चुदाई बंद नही की. मोना ने मुझसे चुदवाते हुए अपने पति यानी मेरे चाचा से बात की. उन्होंने कहा कि वो दुबई पहुँच गए हैं. फिर मोना से पूछा कि क्या तुमने रवि के साथ बंगलौर घूमी या नहीं. मोना ने मुस्कुराते हुए मेरी ओर देखा और फोन पर कहा - रवि को फुर्सत ही नहीं मिलता है. जब आप आयेंगे तभी मै आपके साथ घुमुंगी. तब तक आपका इंतज़ार करती हूँ.

फोन रख कर उसने बगल से सिगरेट उठाया और जला कर कश लेते हुए कहा - क्यों रवि? तब तक तुम मुझे जन्नत की सैर करवाओगे न?

मैंने हँसते हुए अपने लंड के धक्के उसके चूत में तेज किया और कहा - क्यों नहीं मोना डार्लिंग.लेकिन तू हैं बड़ी कमीनी चीज.
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मोना ने भी मेरे लंड के धक्के पर कराहते हुए मुस्कुरा कर कहा - तू भी तो कम हरामी नहीं है. पक्का मादरचोद है तू. मौका मिले तो अपनी माँ को भी चोद डालेगा तू.

मैंने कहा- पक्की रंडी है तू साली. एकदम सही पहचाना मुझे. तुझ पर तो मेरी तभी से नजर थी जब से तू मेरे घर पर चाची बन के आई थी . अब जा के मौका मिला है तुझे चोदने का.

मोना - हाय मेरे हरामी राजा. पहले क्यों नही बताया. इतने दिन तक तुझे प्यासा तो ना रहना पड़ता.

मैंने कहा - सब्र का फल मीठा होता है मेरी जान.

तब तक मेरे लंड का माल उसके चूत में निकल चुका था. अब मै उसके बदन पर निढाल सा पडा था और वो सिगरेट के कश ले रही थी. 


और फिर....अगले 6 दिन तक हम दोनों में से कोई कमरे के बाहर भी नहीं निकला जब तक कि चाचा दुबई से वापस नहीं आ गए.

बोस की बेटी की चुदाई की

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पिछले महीने एक दिन मेरे बोस ने मुझे और मेरी वाइफ़ को डिनर पर उसके घर बुलाया था, हम लोग उसदिन उसके घर पर गये। उसके फ़ैमिली में उसकी वाइफ़, वो और उसकी एक बेटी है। उसकी बेटी कोलेज मे पढ़ती है। उस दिन हम लोग उसकी फ़ैमिली से काफी घुल मिल गये। उसने मुझे बताया की उसकी बेटी फिजिक्स सुब्जेक्ट में काफ़ी कमजोर है। मैं खुद फिजिक्स का मास्टर हूं तो उसने मुझे रेकुएस्ट किया कि क्या मैं उसके बेटी को फिजिक्स पढ़ा सकता हूं। मैने उसको हां कर दी मेरी वाइफ़ भी इनसिस्ट करने लगी कि मैं उसको फिजिक्स पढ़ाऊं।

फिर मैने उसको बताया कि तुम मेरे घर शनि-इतवार आया करो। मुझे सटरडे - सन्डे होलीडे होता है। उसने हां कर दी। फिर वो शनिवार मेरे घर पर आ गयी। मैं घर पर अकेला ही था क्यों कि मेरी वाइफ़ भी जोब करती है और उसे सिर्फ़ संडे छुट्टी होती है। फिर मैने उसे मेरे पास वाले कुरसी पर बिठाकर उसे मैं फिजिक्स पढ़ाने लगा। काफ़ी देर तक मैं उसे मन लगा कर पढ़ाता रहा।

थोड़ी देर में मैने उसे कुछ काम दे कर मैं चाय बनाने किचन में चला गया। मैं चाय लेकर जब किचन से वापस आया तो मेरी नज़र उसके कमर पर पड़ी। उसने जींस और शोर्ट टोप पहनी हुयी थी। वो टेबल पर झुककर लिखने के कारण पीछे से उसका टोप ऊपर उठ गया था। फिर मैं उसके बगल में आ कर बैठ गया। मेरा पूरा ध्यान उसके कमर पर था। जींस के कारण उसकी पैंटी भी दिखायी दे रही थी। मैं काफी उत्तेजित हो चुका था पर मैं अपने आपको रोकने की कोशिश कर रहा था क्योंकि वो मेरे बोस की बेटी थी और उमर में भी छोटी थी। फिर वो मुझसे प्रश्न पूछने लगी। मैं उसको उत्तर दे रहा था पर मेरा ध्यान बार बार उसकी कमर पर जा रहा था। वो काफी मासूम थी। थोड़ी देर बाद वो घर चली गयी।

वो जाने के बाद मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मेरे सामने उसका फ़ीगर दिखायी दे रहा था। मेरा लंड भी काफ़ी खड़ा हो चुका था। मैं थोड़ी देर बेड पर आकर लेट गया। फिर मैं उठकर बाथरूम में गया और हाथ से हिलाकर अपने आपको ठंडा कर लिया। रात को मेरे बोस का फोन आया और मेरी तारीफ़ कर रहा था कि मैने उसके बेटी को बहुत अच्छे से पढ़ाया।

रात को मैं जब सोने के लिये गया तो मेरे वाइफ़ के साथ सेक्स करते समय मुझे उसका ही चेहरा नज़र आ रहा था। मैने मेरे वाइफ़ को वो समझके चोद दिया। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मुझे क्या हो रहा है। रात भर मैं उसके बारे में ही सोच रहा था। दूसरे दिन वो फिर से आने वाली थी, दूसरे दिन वो जब आयी तो वो सलवार पहने के आयी थी। मैने थोड़ी देर उसको पढ़ाया फिर वो घर चली गयी। मेरी वाइफ़ भी मेरे पढ़ाने की तारीफ़ कर रही थी।

अगले हफ़्ते शनिवार को मैं उसका इन्तज़ार कर रहा था। जब वो आयी तो उसने पैंट और शोर्ट टॉप पहन रखी थी। उसका फ़ीगर बहुत ही अच्छा था। फिर मैने उसको पढ़ाना शुरु किया पर मेरा ध्यान उसके बदन को टटोलने में ही था। थोड़ी देर वैसे ही टटोलता रहा और फिर मैने हिम्मत कर के मेरा एक हाथ पीछे से उसके खुली कमर पर रखा और उसे प्यार से हाथ घुमाते हुये पढ़ाने लगा। वो भी काफ़ी इंटेरेस्ट से पढ़ रही थी। धीरे धीरे मैने अपना हाथ उसके टोप के अंदर घुसा दिया और उसकी पीठ पर घुमाने लगा। मैं काफ़ी उत्तेजित हो चुका था और मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या कर रहा हूं।

थोड़ी देर मैं वैसे ही हाथ घुमा रहा था, उसकी ब्रा के ऊपर से मैने काफ़ी देर तक हाथ घुमाया। वो क्वश्चन हल करने की कोशिश कर रही थी। मैने धीरे से उसके चेहरे के तरफ़ देखा तो आंखें बंद कर कर धीरे से मुस्करा रही थी। जैसे कि उसको मज़ा आ रहा हो। फिर मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ गयी और मेरा हाथ मैने उसके बूब्स के ऊपर से घुमाना शुरु क्या। वोह धीरे धीरे सिसकियां लेने लगी। फिर मैने उसका हाथ पकड़ कर मेरे पैंट के ऊपर से लंड पर रख दिया, उसने अचानक अपना हाथ मेरे से छुड़ा लिया।

पर उसने मुझे हाथ घुमाने से नहीं रोका। फिर मैने उसके ब्रा के हुक खोल दिये और उसके टिट्स के ऊपर से हाथ घुमाने लगा। मुझे समझ में आ गया कि वो अभी काफ़ी उत्तेजित हुयी है। मैने धीरे से उसके पैंट कि चैन खोल दी पर वो मुझे हाथ डालने से रोक रही थी पर भी मैने जबरदस्ती से अंदर हाथ डाल दिया और पैंटी पर से उसके चूत के साथ खेलने लगा। उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी। फिर से मैने उसका हाथ पकड़ लिया और मेरा लंड पैंट से बाहर निकल कर हाथ में थमा दिया। इसबार उसने कोई विरोध नहीं किया और मेरा लंड हाथ में पकड़ लिया। अभी भी वो नीचे देखते हुये धीरे से मुस्करा रही थी। ये सब ३० मिनट तक चला, पर इस बीच हमने न नज़र मिलायी और न बात की। सब कुछ चुपचाप ही चल रहा था।

फिर मैने उसकी तरफ देख कर उसको खड़ा रहने के लिये कहा। वो मेरे तरफ़ पीठ कर के मेरे सामने खड़ी हो गयी। मैने उसको पीछे से पकड़ कर उसको चूमना शुरु किया। फिर मैं कुरसी पर बैठ गया और मैने उसकी पैंट उतार दी। वो अभी भी मेरे तरफ़ पीठ करके ही खाड़ी थी। फिर मैने उसके चूतडों को मसलना शुरु किया ।थोड़ी देर में मैने उसकी पैंटी उतार दी वो अभी सिर्फ़ शर्ट पहने हुई मेरे तरफ़ पीठ करके खड़ी थी। फिर मैने मेरी पैंट उतारकर अपने तने हुये लंड को हाथ में लिया और उसको उल्टा मेरे गोद में बिठा कर लंड पीछे से उसके जांघो में चूत के पास डाल दिया। वो वैसे ही चुप चाप बैठ गयी। मैं उसको टोप ऊपर उठाकर पीठ पर चूसने लगा। दोनो हाथों से मैने उसके बूब्स पकड़ लिये थे।

थोड़ी देर में मैं उसको बेडरूम लेकर गया। उसको बेड पर बिठाकर उसके बाजु में खड़ा हो गया। वोह अभी भी शरमा कर स्माईल दे रही थी। उसने मुझसे कोई बात नहीं की न ही उसने मना किया। फिर मैं अपना लंड उसके मुंह के पास ले गया और उसको मुंह में लेने के लिये कहा। उसने सिर हिलाकर न कहा। पर मैने उसको फ़ोर्स करके मेरा लंड चूसने के लिये मजबूर कर दिया। थोड़ी देर में वो सफ़ाई से चूसने लगी। अब मैने हाथ से उसकी चूत को सहलाना शुरु किया। वो गीली थी। फिर मैने उसको बेड पर लिटा कर उसकी दोनो टांगे फ़ैला दी। अब उसकी चूत पूरी तरह से दिखायी दे रही थी। फिर मैने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल कर चूसना शुरु किया। वो उत्तेजना के कारण छटपटाने लगी, उसने मेरा सिर दोनो हाथों में पकड़ लिया था। थोड़ी ही देर में मेरा लंड पूरा टाइट हो चुका था।

अब मैने उसको चोदने की पोसिशन ले लिया। उसने मुझे मना किया। उसने कहा नहीं मैने कभी किया नहीं है और मुझे दर्द होगा। मैने उसको समझा बुझाकर अपना लंड जबरदस्ती चूत में डाल दिया। वो जोर से चिल्लायी। उसको काफ़ी दर्द हुआ था और थोड़ा खून भी बाहर आया था पर मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था। मैं उसके ऊपर टूट पड़ा था। थोड़ी देर में उसने अपने दोनो हाथों से मेरी कमर पकड़ लिया और मुझे जोर जोर से खीचने लगी। अब मेरी भी स्पीड बढ़ चुकी थी। अब मुझे समझ आ गया था कि अब उसको भी मज़ा आ रहा है।

फिर मेरे लंड जवब देने में आया तो मैने उसे बाहर निकाल कर अपना लावा उसके कमर पर डाल दिया। वो एकदम सैतिस्फाइड हुई थी। फिर मैने उसको उठाकर बाथरूम में भेज दिया। बेड की चादर मैने गायब कर दी और दूसरी डाल दी। थोड़ी देर में वो फ़्रेश हो कर कपड़े पहन कर आ गयी। वो फ़िर घर जाने निकली। मैने उससे बात करने की कोशिश की पर उसने मुझसे कोई बात नहीं की। उसके जाने के बाद मुझे थोड़ा डर लगने लगा। शयद वो किसी को बता दे।

अगले दिन वो क्लास को नहीं आयी तो मैं और डर गया था। ओफ़िस में बोस का बेहविओउर मेरे साथ नोर्मल था तो थोड़ा टेंशन कम हुआ। इसी बीच मुझे उसका कोई फोन नहीं आया। उस वीक शनिवार मेरी वाइफ़ ओफ़िस में जाने के बाद मैं कम्प्यूटर पर बैठ कर अपना काम कर रहा था। अचानक डोर बेल बजी। मैने दरवाजा खोला तो सामने वो खड़ी थी। उसने शरमाते हुये स्माईल दी और अंदर आ गयी। मैने अंदर से दरवाजा बंद करके उसके तरफ़ देखा तो वो मुझसे आकर लिपट गयी। आज मैं उसको सीधे बेडरूम ले कर गया।

मान भी जाओ बहू


मेरा नाम कुसुम है और मैं मेरठ की रहने वाली हूँ, उम्र 24 साल, गोरा रंग, कसा हुआ बदन, किसी भी लौड़े में जान डाल सकती हूँ, 5 फुट 5 इंच लंबी, कसी हुई छातियाँ, पतली सी कमर और गोल गोल चूतड़ !

अब मेरी तरफ से अंतर्वासना के हर एक पाठक को मेरा प्रणाम ! अंतर्वासना डॉट कॉम वेबसाइट एक हाउस वाइफ के लिए बेहद ज़बरदस्त है। अपना काम निपटा कर दोपहर को रोज़ इसमें छपने वाले एक एक अक्षर का आनंद लेती हूँ। यह अंतर्वासना मुझे मेरे ससुर जी ने पढ़वाई थी, तब से मैं इसकी कायल हो गई थी।
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ठीक दो साल ही पहले मेरी शादी विवेक नाम के युवक से हुई थी। मैं एक बहुत कामुक और बहुत ही चुदक्कड़ लड़की हूँ। शादी से पहले न जाने कितनी बार अपनी बुर चुदवाई थी लेकिन जो सोचा था वो जीवन में नहीं मिल पाया- पति के रूप में ज़बरदस्त मर्द और उसका मोटा लंबा लौड़ा जो रोज़ रात को मुझे ही ठंडी करे !

लेकिन विवेक का ना तो बड़ा था और ना ही मुझे किनारे लगाने लायक ! धोखा हुआ था मेरे साथ ! लेकिन इतना ज़रूर था कि मेरा भेद नहीं खुल पाया क्यूंकि उस से तो मुश्किल से मेरे पहले से चुदी होने का राज नहीं खुला क्यूंकि अगर मैं सील बंद होती तो वो मेरी सील तोड़ ही नहीं पाता।

शादी के छः महीने बीत गए, सासू माँ अब मुझसे बच्चे की उम्मीद लगाए बैठी थी और फिर एक दिन मेरे पति का ऑस्ट्रेलिया का वीसा लग गया।

सासू माँ ने मुझसे कहा- अब वीसा लग गया है, उससे कहना कि जाने से पहले तुझे पेट से करके जाए !

मेरे ससुर जी फौजी रह चुके थे और अब एक कंपनी में गार्ड थे लेकिन फिर वो नौकरी छोड़ घर आ गए। यह बात ससुर जी ने सुन ली क्यूंकि मैंने उन्हें दरवाज़े के बाहर खड़ा देखा था। मुझे देख वो मुस्कुरा दिए और चले गए। ऊपर से मैं उन दिनों पहले ही बहुत प्यासी थी।

फिर एक दिन पति देव तो फ्लाईट पकड़ सिडनी पहुँच गए। वो चले गए और वहाँ जाकर मेरे पेपर्स भी तैयार करवाने लगे। उधर अब ससुर के इलावा मेरे जेठ की नियत मुझ पर खराब थी। हालाँकि वो दूसरे घर में रहता था लेकिन पति के जाने के बाद वो आने के बहाने ढूंढता। ससुर जी शायद डरते थे कि कहीं मैं विरोध ना कर दूँ !

एक रात मेरा सब्र का बांध टूट गया। मेरे ससुर और मैं दोनों घर में अकेले थे और मैं कई दिनों से चुदाई चाहती थी। मैं ससुर जी के कमरे में गई, जीरो वाट का दूधिया बल्ब जल रहा था। ससुर जी सीधे लेट कर सोये थे लेकिन उनके लौड़े ने तो पजामे को तम्बू बना रखा था शायद वो नाटक कर रहे थे।

मैं बिस्तर के बिल्कुल पास गई, घुटनों के बल बैठ कर हाथ उनके लौड़े की ओर बढ़ा दिया। लेकिन न जाने क्या हुआ, मैं डर से वहाँ से वापिस चली आई। नींद नहीं आ रही थी, बार-बार ससुर जी का पजामे में खड़ा लौड़ा सामने आ जाता। तभी मैंने अपनी सलवार का नाड़ा खोल कर पैंटी में हाथ डाल कर देखा, कच्छी गीली हो गई थी। मुझे सीधे लेट नींद नहीं आती, एक तकिये को बाँहों में लेकर उलटी लेट सोने की कोशिश करने लगी।

अभी आँख लगी थी कि किसी का हाथ मेरी गांड की गोलाइयों पर फिरने लगा। मैं समझ गई थी लेकिन कुछ न बोली। मेरी सलवार का नाड़ा खींचा गया, गांड नंगी करके कच्छी के ऊपर से सहलाने लगे। मेरा सब्र टूट रहा था। पापा ने गांड को चूमना चालू कर दिया। मैं नाटक कर मदहोश हुई पड़ी थी। वो मेरी बग़ल में लेट गए और पूरी सलवार नीचे तक सरकाने की कोशिश की।

फिर बोले- अब मान भी जाओ बहू ! खुद तो मेरे कमरे में इतने करीब आई और वापिस चली आई ! अब जब हम चल कर खुद आये हैं तो सोने का नाटक ?

मैं पलटी, कॉलर से पकड़ कर ससुर जी को अपने ऊपर गिरा दिया- आप भी तो सोने का नाटक कर रहे थे ! अब तो मुझे कह रहे हो !

वो मेरे गुलाबी होंठों को चूसने लगे। वाह ! कितने प्यार से चूस रहे थे ! मैं उठी और उनकी कमीज़ उतार दी। क्या मर्दानी छाती थी ! मैं वहाँ चूमने लगी, बालों से खेलने लगी। सारी शर्म-सीमा ना जाने कहाँ गायब हो गई थी।

कुछ ही पलों में उन्होंने मेरे बदन से एक एक करके सारे कपड़े उतार फेंके। मुझे अपनी मजबूत फौजी बाँहों में जकड़ लिया, कभी मेरी जवानी का रस पीते तो कभी मेरी जांघों की चूमा-चाटी करते। अब मेरा सब्र जवाब देने लगा और मैंने उठ कर उनको बिस्तर पर धक्का दिया, उन पर गिरते हुए उनके अण्डर्वीयर को उतार फेंका और उनका फौलादी लौड़ा बाहर निकाल लिया। और कुछ देर पहले जिसको पजामा फाड़ने पर उतरे हुए को देखा था, सोचा था, यह उससे भी ज्यादा मोटा लम्बा था।

मैंने झट से चूसना शुरु किया, वो आहें भर रहे थे, मेरे मम्मे दबाते जा रहे थे। मेरी जवानी के रंग में ससुर जी रंग के डुबकियाँ लगाने लगे। फिर न उनसे रुका गया, न मुझ से ! और मेरी टाँगें आखिर चौड़ी करवा ही ली उन्होंने ! मैंने नीचे हाथ लेजाकर खुद ठिकाने पर रखवा दिया और मेरा इशारा पाते ही ससुर जी ने झटके से लौड़ा अन्दर कर दिया।

हाय मजा आ गया ! कितनी भीड़ी गली है ! कमबख्त मेरा नाम मिटटी में मिला रहा है ! मेरा अपना बेटा जिससे दरार खुल न सकी !

तो आप फाड़ डालो ससुर जी !

यह ले साली, देख नज़ारा फौजी की चुदाई का ! ले !

वो तेज़ तेज़ धक्के लगने लगे और मुझे स्वर्ग दिखने लगा। बीस पच्चीस मिनट मुझे कभी इधर से, कभी उधर से, ऊपर-नीचे कितने तरीकों से सम्भोग का असली सुख दिया और फिर अपना बीज मेरी चूत में निकाल मुझ से चिपक गए।

पूरी रात ससुर जी के साथ बिताई। सुबह आंख खुली तो नंगी उनकी बाँहों में सो रही थी। सुबह चली तो लगा कि कल रात मानो पहली बार चुदवाया था।

फ़िर आये दिन मौका पाते ही हम बंद कमरे में रास-लीला रचाने लगे। अब जेठ जी को ना जाने कैसे हम पर शक हो गया।

एक रोज़ दोपहर को जब घर में मैं और ससुर जी थे और मैं यह सोचकर कि और कोई नहीं है घर में, चली गई ससर जी के कमरे में !

जब मैं निकली ससुर जी के कमरे से, वो भी जालीदार नाइटी और उसके नीचे कुछ न पहना था जिससे मेरे जवान मम्मे, कड़क हुए चुचूक साफ़ दिख रहे थे और ऊपर से सलवटें पड़ी हुई देख जेठ जी मुस्करा दिए। मुझे क्या मालूम था कि जेठ जी वहीँ मौजूद थे, मुझे देख उनकी आँखों में वासना चमकने लगी। मैं शरमा कर निकल गई।

जेठ जी ने जेठानी के जनेपे के लिए उनके पीहर भेज दिया जिससे उनकी वासना और बढ़ गई। करते भी क्या ! औरत पेट से थी तो लौड़े का क्या हाल होगा !

मांजी सा ने मुझे रोज़ तीनों वक़्त का खाना भिजवाने को कह रखा था। मैं पहले नौकर से कहती थी लेकिन फिर खुद लेकर जाने लगी।